सत्य का बोध - Satya Ka Bodh, स्वतंत्रता, सरलता, शून्यता - Swatantrata, Saralta, Shunyata

Trackआंखों देखी सांच - Aakhon Dekhi Sanch

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जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पुणे में प्रश्नोत्तर सहित हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं OSHO Talks
सत्य का बोध - Satya Ka Bodh, स्वतंत्रता, सरलता, शून्यता - Swatantrata, Saralta, Shunyata
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जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पुणे में प्रश्नोत्तर सहित हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं OSHO Talks

सीखे हुए ज्ञान से मुक्ति
कोई कितना ही पढ़े, कितना ही सिद्धांतों को, थियरीज़ को, आइडियालॉजी़ज को समझ ले, इकट्ठा कर ले, सारे शास्त्रों को पी जाए, फिर भी जीवन का उत्तर उसे उपलब्ध नहीं होता है। उत्तर बहुत हो जाते हैं उसके पास, लेकिन कोई समाधान नहीं होता। समाधान न हो, तो प्रश्न का अंत नहीं होता है। प्रश्न का अंत न हो, तो चिंता समाप्त नहीं होती है। चिंता समाप्त न हो, तो वह जो चित्त की अशांति है, जो केवल ज्ञान के मिलने पर ही उपलब्ध होती है, उपलब्ध नहीं की जा सकती है।

फिर भी मैं आपको उत्तर दे रहा हूं, यह जानते हुए भी कि मेरा उत्तर आपका उत्तर नहीं हो सकता। फिर किसलिए उत्तर दे रहा हूं? दो कारण हैं। एक तो इसी भांति मैं आपको बता सकता हूं कि जो उत्तर आपने दूसरों से सीख लिए हैं, वे व्यर्थ हैं। लेकिन भूल होगी उनको हटा दें और मैं जो उत्तर दूं उन्हें अपने मन में रख लें। यह भी दूसरे का ही उत्तर होगा। तो मैं जो उत्तर दे रहा हूं, एक अर्थ में केवल निषेधात्मक हैं, एक अर्थ में केवल डिस्ट्रक्टिव हैं। चाहता हूं कि आपके मन में जो उत्तर इकट्ठे हैं वे नष्ट हो जाएं, लेकिन उनकी जगह मेरा उत्तर बैठ जाए, यह नहीं चाहता हूं।

मन खाली हो, प्रश्न भर रह जाए। प्रश्न हो, मन खाली हो, जिज्ञासा हो, हमारे पूरे प्राण प्रश्न के साथ संयुक्त हो जाएं, हमारे पूरी श्वास-श्वास में प्रश्न, समस्या खड़ी हो जाए, तो आप हैरान होंगे, आपके ही भीतर से उत्तर आना प्रारंभ हो जाता है। जब पूरे प्राण किसी प्रश्न से भर जाते हैं, तो प्राणों के ही केंद्र से उत्तर आना शुरू हो जाता है।

जो भी ज्ञान उपलब्ध हुआ है वह स्वयं की चेतना से उपलब्ध हुआ है। कभी भी, इतिहास के किन्हीं वर्षों में, अतीत में, या भविष्य में कभी यदि होगा तो वह अपने ही भीतर खोज लेना होता है। समस्या भीतर है तो समाधान भी भीतर है। प्रश्न भीतर है तो उत्तर भी भीतर है। लेकिन हम कभी भीतर खोजते नहीं और हमारी आंखें बाहर भटकती रहती हैं और बाहर खोजती रहती हैं। कुछ कारण हैं, जिससे ऐसा होता है। हमारी आंखें बाहर खुलती हैं, इसलिए हम बाहर खोजते हैं। ओशो


इस पुस्तक में ओशो निम्नलिखित विषयों पर बोले हैं:
शिक्षा, प्रेम, अकेलापन, ध्यान, स्वतंत्रता, सरलता, शून्यता, क्रांति, त्याग, रूपांतरण
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Publisher ओशो मीडिया इंटरनैशनल
Duration 56
Type एकल टॉक