गीता-दर्शन भाग तीन – Gita Darshan, Vol.3

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श्रीमदभगवदगीता के अध्याय छह ‘आत्म-संयम-योग’ एवं अध्याय सात ‘ज्ञान-विज्ञान-योग’ पर अहमदाबाद तथा क्रास मैदान, मुंबई में प्रश्नोत्तर सहित हुई प्रवचनमाला के अंतर्गत ओशो द्वारा दिए गए इकत्तीस प्रवचन
श्रीमदभगवदगीता के अध्याय छह ‘आत्म-संयम-योग’ एवं अध्याय सात ‘ज्ञान-विज्ञान-योग’ पर अहमदाबाद तथा क्रास मैदान, मुंबई में प्रश्नोत्तर सहित हुई प्रवचनमाला के अंतर्गत ओशो द्वारा दिए गए इकत्तीस प्रवचन

उद्धरण : गीता-दर्शन - भाग तीन - योगाभ्यास--गलत को काटने के लिए

"कृष्ण एक बहुत वैज्ञानिक तथ्य की बात कर रहे हैं। सानुपात व्यक्तित्व चाहिए, अनुपातहीन नहीं। अनुपातहीन व्यक्तित्व अराजक, केओटिक हो जाएगा। उसके भीतर की जो लयबद्धता है, वह विश्रृंखल हो जाएगी, टूट जाएगी। और टूटी हुई विश्रृंखल स्थिति में, ध्यान में प्रवेश आसान नहीं होगा। आपने अपने ही हाथ से उपद्रव पैदा कर लिए हैं और उन उपद्रवों के कारण आप भीतर न जा सकेंगे। और हम सब ऐसे उपद्रव पैदा करते हैं, अनेक कारणों से; वे कारण खयाल में ले लेने चाहिए।

पहला तो इसलिए उपद्रव पैदा हो जाता है कि हम इस सत्य को अब तक भी ठीक से नहीं समझ पाए हैं कि अनुपात प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न होगा। इसलिए हो सकता है कि पिता की नींद खुल जाती है चार बजे, तो घर के सारे बच्चों को उठा दे कि ब्रह्ममुहूर्त हो गया, उठो। नहीं उठते हो, तो आलसी हो।

लेकिन पिता को पता होना चाहिए, उम्र बढ़ते-बढ़ते नींद की जरूरत शरीर के लिए रोज कम होती चली जाती है। तो बाप जब बहुत ज्ञान दिखला रहा है बेटे को, तब उसे पता नहीं कि बेटे की और उसकी उम्र में कितना फासला है! बेटे को ज्यादा नींद की जरूरत है।…बच्चा पैदा होने के बाद तेईस घंटे सोता है, बाईस घंटे सोता है, बीस घंटे सोता है, अठारह घंटे सोता है। उम्र जैसे-जैसे बड़ी होती है, नींद कम होती चली जाती है।

इसलिए बूढ़े कभी भूलकर बच्चों को अपनी नींद से शिक्षा न दें। अन्यथा उनको नुकसान पहुंचाएंगे, उनके अनुपात को तोड़ेंगे। लेकिन बूढ़ों को शिक्षा देने का शौक होता है। बुढ़ापे का खास शौक शिक्षा देना है, बिना इस बात की समझ के।

इसलिए हम बच्चों के अनुपात को पहले से ही बिगाड़ना शुरू कर देते हैं। और अनुपात जब बिगड़ता है, तो खतरा क्या है?

अगर आपने बच्चे को कम सोने दिया, जबर्दस्ती उठा लिया, तो इसकी प्रतिक्रिया में वह किसी दिन ज्यादा सोने का बदला लेगा। और तब उसके सब अनुपात असंतुलित हो जाएंगे। अगर आप जीते, तो वह कम सोने वाला बन जाएगा। और अगर खुद जीत गया, तो ज्यादा सोने वाला बन जाएगा। लेकिन अनुपात खो जाएगा।

अगर मां-बाप बलशाली हुए, पुराने ढांचे और ढर्रे के हुए, तो उसकी नींद को कम करवा देंगे। और अगर बच्चा नए ढंग का, नई पीढ़ी का हुआ, उपद्रवी हुआ, बगावती हुआ, तो ज्यादा सोना शुरू कर देगा। लेकिन एक बात पक्की है कि दो में से कोई भी जीते, प्रकृति हार जाएगी; और वह जो बीच का अनुपात है, वह सदा के लिए अस्तव्यस्त हो जाएगा।"—ओशो
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Publisher Divyansh Publication
ISBN-13 978-81-7261-120-0