ध्यान दर्शन – Dhyan Darshan

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ध्यान साधना शिविर, मुंबई में ध्यान-प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं दस OSHO Talks
ध्यान साधना शिविर, मुंबई में ध्यान-प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित हुई सीरीज के अंतर्गत दी गईं दस OSHO Talks

उद्धरण : ध्यान दर्शन

जैसे ही हम ध्यान में गिरते हैं, जैसे हमारी चेतना की बूंद ब्रह्म में गिर जाती है, फिर हम कहीं नहीं होते। और जब हम कहीं नहीं होते, तभी शांति और तभी आनंद और तभी अमृत का जन्म होता है।

जब तक हम हैं, तब तक दुख है। जब तक हम हैं, तब तक पीड़ा है। जब तक हम हैं, तब तक परेशानी है। हमारा होना ही एंग्विश है, संताप है। वह हमारा अहंकार ही सारे दुखों की जड़ और आधार है। जब वह नहीं है, जब हम कह सकते हैं कि अभी मैं या तो कहीं भी नहीं हूं या सब जगह हूं, उसी क्षण आनंद का उदगम स्रोत शुरू हो जाता है। ओशो

इस पुस्तक में ओशो निम्नलिखित विषयों पर बोले हैं:
डाइनैमिक ध्यान-प्रयोग, बहिर्यात्रा, अंतर्यात्रा, आध्यात्मिक विज्ञान, ध्यान और स्वास्थ्य, रेचन, ध्वनि-चिकित्सा, शांति, आनंद, संकल्प

अधिक जानकारी
Publisher OSHO Media International
ISBN-13 978-81-7261-111-8
Dimensions (size) 127 x 203 mm
Number of Pages 164