स्वयं की सत्ता – Swayam Ki Satta
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धर्म, राजनीति, भारत के साधु-संत, आदि विषयों पर ओशो द्वारा क्रांतिकारी उदबोधन एवं प्रश्नोत्तर-चर्चाओं सहित दिए गए ग्यारह अमृत प्रवचनों का अनूठा संकलन
धर्म, राजनीति, भारत के साधु-संत, आदि विषयों पर ओशो द्वारा क्रांतिकारी उदबोधन एवं प्रश्नोत्तर-चर्चाओं सहित दिए गए ग्यारह अमृत प्रवचनों का अनूठा संकलन
आज तक मनुष्य के पूरे इतिहास में जिन लोगों ने कुछ जाना है, उन्हें कहना कठिन हो गया है। अनुभूतियां प्राणों की किसी गहराई में अनुभव होती हैं, और शब्दों में उन्हें प्रकट करना मुश्किल और कठिन हो जाता है। ऐसा भी प्रतीत होता है कहने के बाद कि जो कहना चाहा था, वह पूरी तरह पहुंच नहीं पाया होगा। एक छोटी सी घटना मुझे स्मरण आती है, उससे ही अपनी बात को प्रारंभ करना चाहूंगा।
ऐसी ही किसी सांझ को किसी देश में बहुत से लोग किसी फकीर को सुनने को इकट्ठे हुए थे। फकीर आया, वह सामने खड़ा हुआ, और थोड़ी देर मौन खड़ा रहा, और फिर उसने नाचना शुरू किया। थोड़ी देर नाचता रहा और फिर उसने लोगों से पूछा: कुछ समझ में आया? अब नाचने से कुछ भी समझ में नहीं आ सकता। लेकिन उस फकीर ने कहा कि शब्दों से तो फिर और भी समझ में नहीं आएगा।
मैं भी जब आपसे कुछ कहने को होता हूं, तो मुझे लगता है कि शब्दों से क्या समझ में आ सकेगा? शायद नाचने से थोड़ा समझ में आए, लेकिन उससे भी क्या समझ में आ सकेगा? शायद गीत गाने से कुछ समझ में आए, लेकिन उससे भी क्या समझ में आ सकेगा? जो भीतर प्राणों में आनंद की ऊर्जा, जो भीतर प्राणों में आनंद का अनुभव होता है, उसे कैसे प्रकट किया जाए? उसकी पीड़ा को शायद वे थोड़े से लोग समझ पा सकते होंगे, जिन्होंने किसी को प्रेम किया हो। और जिसको प्रेम किया हो और उसके पास गए हों। और बहुत कुछ कहने को सोचा हो, और फिर पाया हो कि शब्द व्यर्थ हो गए हैं। और कुछ भी कहने को सूझ नहीं पड़ा होगा।
जिन्होंने कभी किसी को प्रेम किया है, उन्हें अनुभव होगा कि शब्द कितने छोटे पड़ जाते हैं। और प्रेम में कोई भी शब्द काम नहीं देता। वहां शायद मौन ही कुछ कह पाता है। लेकिन प्रेम से भी बड़ी बात परमात्मा है। और प्रेम में अगर शब्द छोटे पड़ जाते हों, तो परमात्मा के लिए तो शब्द बहुत ही व्यर्थ हो जाएंगे। शायद असत्य भी हो जाएंगे।
इसलिए सत्य कहते से ही आधा तो असत्य हो जाता है; फिर आधा जो बचता है, वह सुनते से असत्य हो जाता है। इसलिए बड़ी परेशानी और बहुत कठिनाई है। फिर भी कुछ बातें आपसे कहूंगा: इस आशा में कि शब्दों पर बहुत ध्यान नहीं देंगे; मेरी पीड़ा पर ध्यान देंगे, मेरे प्रेम पर ध्यान देंगे। और शब्द जिस तरफ इशारा करते हैं, उस तरफ ध्यान देंगे। —ओशो
Publisher | Osho Media International |
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Type | फुल सीरीज |
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