समाधि कमल – Samadhi Kamal
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ध्यान साधना शिविर, माथेरान में ध्यान प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए आठ प्रवचन
ध्यान साधना शिविर, माथेरान में ध्यान प्रयोगों एवं प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए आठ प्रवचन
मनुष्य के दो जन्म होते हैं। एक जन्म है; जो देह का है, जो मां-बाप देते हैं। उस देह के जन्म को; हम जीवन समझ लें; तो हम गलती में हैं। देह का जन्म जीवन नहीं है। एक दूसरा जन्म है; जो साधना से उपलब्ध होता है। और उस जन्म के माध्यम से हम आत्मिक सत्ता को, स्वसत्ता को अनुभव करते हैं। जीवन वहीं से प्रारंभ होता है।
लोग समझते हैं कि जन्म और मृत्यु के भीतर जीवन घिरा है। और मैं आपसे कहूं कि जन्म और मृत्यु के भीतर जीवन नहीं घिरा है। जो जीवन है; उसका न तो जन्म है और न उसकी मृत्यु है। जिसका जन्म होता है; उसकी मृत्यु निश्चित है। तो जीवन का न तो जन्म होता है और न मृत्यु होती है। जन्म और मृत्यु जीवन के नहीं हैं, देह के हैं।
देह बिलकुल भी जीवन नहीं है, देह बिलकुल मिट्टी है। उसके भीतर कोई जीवन है; जो उससे प्रकट हो रहा है और हमें धोखा दे रहा है कि देह जीवन है। जैसे इस बिजली के बल्ब से भीतर से प्रकाश निकल रहा है और हम धोखे में पड़ जाएं कि यह जो कांच का घेरा है; यह प्रकाश दे रहा है। यह कांच का घेरा बिलकुल प्रकाश नहीं दे रहा। प्रकाश भीतर है, यह कांच का घेरा केवल उसे पार आने दे रहा है, यह ट्रांसपैरेंट है। यह देह ट्रांसपैरेंट है; केवल जीवन के लिए, यह जीवन नहीं है। यह जीवन को बाहर आने देती है, यह पारदर्शी है। और इससे धोखा हो जाता है और लगता है यह जीवन है।
उस सत्य को, जो हमारे भीतर है, देह से भिन्न है, पृथक है, उसे जान लेने पर जीवन का अनुभव होता है। और जीवन का अनुभव होते ही जन्म और मृत्यु भ्रम हो जाते हैं, झूठे हो जाते हैं। —ओशो
Publisher | Osho Media International |
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Type | फुल सीरीज |
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