फिर अमरित की बूंद पड़ी – Phir Amrit Ki Bund Pari
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संतों द्वारा दिए गए सूत्रों पर तथा जिज्ञासुओं के प्रश्नों के उत्तर में दिए गए ओशो के दस अमृत प्रवचनों का संकलन।
संतों द्वारा दिए गए सूत्रों पर तथा जिज्ञासुओं के प्रश्नों के उत्तर में दिए गए ओशो के दस अमृत प्रवचनों का संकलन।
कुछ मौलिक बातें भारत के मस्तिष्क में उतर जाएं तो केवल दस वर्षों के भीतर भारत दुनिया की विश्वशक्ति बन सकता है।
पहली बात कि दरिद्रता में कोई अध्यात्म नहीं है। यह और बात है कि कोई समृद्ध व्यक्ति अपनी समृद्धि को लात मार कर भिखारी हो जाए, लेकिन उसके भिखारीपन में और एक साधारण भिखारी में जमीन-आसमान का अंतर है। उसका भिखारीपन समृद्धि के बाद की सीढ़ी है और साधारण भिखारी अभी समृद्धि तक ही नहीं पहुंचा, अभी समृद्धि के पार वाली सीढ़ी पर कैसे पहुंचेगा? भारत के मन में दरिद्रता के प्रति जो एक झूठा भाव पैदा हो गया है कि यह आध्यात्मिक है; उसका कारण है, क्योंकि बुद्ध ने राज्य छोड़ दिया, महावीर ने राज्य छोड़ दिया। स्वाभाविक तर्क कहता है कि जब धन को छोड़ कर लोग चले गए, गरीब हो गए, नग्न हो गए, तो तुम तो बड़े सौभाग्यशाली हो, तुम नग्न ही हो, कहीं छोड़ कर जाने की जरूरत ही नहीं है। न राज्य छोड़ना है, न धन छोड़ना है। मगर तुम भूलते हो। बुद्ध के व्यक्तित्व में जो गरिमा दिखाई पड़ रही है, वह साम्राज्य को छोड़े बिना नहीं हो सकती थी। साम्राज्य-त्याग का अनुभव अनुभव एक विराट मुक्ति का अनुभव है, कि धन तुच्छ है, इससे कुछ पाया नहीं जा सकता।
लेकिन इससे पूरे भारत ने एक गलत नतीजा ले लिया कि गरीब ही बने रहने में सार है। क्या फायदा है? सम्राट गरीब हो रहे हैं तो तुम्हारे गरीबी को छोड़ने से क्या फायदा है?
भारत के मन से गरीबी का आदर मिटा देना जरूरी है।
भारत में जनसंख्या को तीस वर्षों तक बिलकुल रोक देना जरूरी है। —ओशो
Publisher | Osho Media International |
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Type | फुल सीरीज |
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