साधना पथ – Sadhana Path

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तीन साधना-शिविरों में हुए प्रवचनों, प्रश्नोत्तरों एवं ध्यान-सूत्रों का अपूर्व संकलन।
तीन साधना-शिविरों में हुए प्रवचनों, प्रश्नोत्तरों एवं ध्यान-सूत्रों का अपूर्व संकलन।

उद्धरण: साधना पथ, तेरहवां प्रवचन
"यह कहा गया है कि आप शास्त्रों में विश्वास करो, भगवान के वचनों में विश्वास करो, गुरुओं में विश्वास करो। मैं यह नहीं कहता हूं। मैं कहता हूं कि अपने में विश्वास करो। स्वयं को जान कर ही शास्त्रों में जो है, भगवान के वचनो में जो है, उसे जाना जा सकता है।

वह जो स्वयं पर विश्वासी नहीं है, उसके शेष सब विश्वास व्यर्थ हैं।

वह जो अपने पैरों पर नहीं खड़ा है, वह किसके पैरों पर खड़ा हो सकता है?

बुद्ध ने कहा है: अपने दीपक स्वयं बनो। अपनी शरण स्वयं बनो। स्व-शरण के अतिरिक्त और कोई सम्यक गति नहीं है। यही मैं कहता हूं।

साधना, जीवन का कोई खंड, अंश नहीं है। वह तो समग्र जीवन है। उठना, बैठना, बोलना, हंसना सभी में उसे होना है। तभी वह सार्थक और सहज होती है।धर्म कोई विशिष्ट कार्य--पूजा या प्रार्थना करने में नहीं है, वह तो ऐसे ढंग से जीने में है कि सारा जीवन ही पूजा और प्रार्थना बन जाए। वह कोई क्रियाकांड, रिचुअल नहीं है। वह तो जीवन-पद्धति है।

इस अर्थ मे कोई धर्म धार्मिक नहीं होता है, व्यक्ति धार्मिक होता है। कोई आचरण धार्मिक नहीं होता, जीवन धार्मिक होता है।"—ओशो
In this title, Osho talks on the following topics:
वर्तमान में जीना..., सहजता.., अकेलापन..., ध्यान..., मौन-सजगता..., विज्ञान..., अहंकार..., नीति..., समाज...., संकल्प....
अधिक जानकारी
Publisher ओशो मीडिया इंटरनैशनल
ISBN-13 978-0-88050-774-5
Number of Pages 667
File Size 1.70 MB
Format Adobe ePub