शून्य के पार – Shunya Ke Paar
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ओशो के दस अमृत प्रवचनों का संकलन।
ओशो के दस अमृत प्रवचनों का संकलन।
सब शास्त्र जिसके लिए रोते हैं, चिल्लाते हैं! सब ज्ञानी जिसकी तरफ इशारे उठाते हैं और इशारे नहीं हो पाते हैं! सब शब्द जिसे कहते हैं और नहीं कह पाते हैं! सब आंखें जिसे तलाशती हैं और नहीं देख पाती हैं! और सब हाथ जिसको टटोलते हैं और नहीं पकड़ पाते हैं! वह इन तीनों के पार सदा मौजूद है। इन तीनों से जरा सा द्वार खुल जाए और वह उपलब्ध ही है।… इसलिए मार्ग में मत भटकें। सब मार्ग भटकाते हैं। सब मार्ग छोड़ दें। खड़े हो जाएं, एक सेकेंड को ही सिर्फ। खड़े होने का प्रयास करते रहें।
भाव का, विचार का, कर्म का--तीनों के ऊपर उठने का प्रयास करते रहें, करते रहें, करते रहें। आपके करने से ऐसा नहीं होगा कि धीरे-धीरे आप उठते जाएंगे। न, करते रहें। नहीं उठेंगे, तब तक नहीं उठेंगे, लेकिन करते-करते, करते-करते कभी वह टर्निंग पॉइंट आ जाएगा कि तीनों चीजें एक सेकेंड को ठहर जाएंगी और आप अचानक पाएंगे कि आप उठ गए हैं।
निन्यानबे डिग्री तक भी पानी भाप नहीं बनता। बस कुनकुना गर्म होता रहता है, गर्म होता रहता है, होता रहता है-- बस ठीक सौ डिग्री पर पहुंचा कि एक सेकेंड में सब बदल जाता है। पानी नदारत, पानी गया और भाप हो गई।
ठीक ऐसे ही करते रहें, करते रहें। भाव के बाहर, विचार के बाहर, कर्म के बाहर--खोजते रहें, खोजते रहें। अनजान है वह क्षण, कब आ जाए। किसी भी दिन अचानक आप पाएंगे कि सौ डिग्री पूरी हो गई।… किसी को भी पता नहीं है कि कब किस आदमी की सौ डिग्री पूरी हो जाए? किस क्षण में? और जिस क्षण पूरी हो जाएगी, उसी क्षण आप खो जाएंगे। और जो हो जाएगा, वही सत्य है, वही परमात्मा है।
मनुष्य परमात्मा से नहीं मिल पाता। पानी कभी भाप से मिल पाता है? पानी कैसे भाप से मिलेगा? पानी जब मिटेगा, तब भाप होगी। इसलिए पानी कभी भाप से नहीं मिलता।
आदमी कभी परमात्मा से नहीं मिलता। आदमी तो भाप हो जाता है, मिट जाता है, तब जो रह जाता है, वह परमात्मा है। —ओशो
Publisher | Osho Media International |
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Type | फुल सीरीज |
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