नये भारत की खोज – Naye Bharat Ki Khoj

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सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं पर पूना में प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए आठ अमृत प्रवचनों का संकलन
नये भारत की खोज – Naye Bharat Ki Khoj
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सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं पर पूना में प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए आठ अमृत प्रवचनों का संकलन

भारत ने अपने समस्याओं का समाधान नहीं खोजा है, समस्याओं को इनकार करने की व्यवस्था खोजी है। और जो समाज समस्याओं को इनकार कर देता है, वह कभी हल नहीं कर पाता। बल्कि यह भी हो सकता है कि शायद हम हल नहीं कर पाते हैं इसलिए हमने इनकार करने की व्यवस्था खोज ली है। शायद हम हल नहीं कर सकते हैं, नहीं कर पाते हैं, नहीं सोच पाते हैं, कैसे हल करें? तो हम कहते हैं, यह समस्या ही नहीं है। शुतुरमुर्ग रेत में मुंह गड़ा कर खड़ा हो जाता है, अगर दुश्मन उस पर हमला करे। रेत में मुंह गड़ाने से दुश्मन दिखाई नहीं पड़ता, तो शुतुरमुर्ग सोचता है, जो दुश्मन दिखाई नहीं पड़ता, वह नहीं है। जो दिखाई नहीं पड़ता, वह हो कैसे सकता है? लेकिन शुतुरमुर्ग के सिर खपा लेने से, रेत में आंख बंद कर लेने से दुश्मन मिटता नहीं है। बल्कि शुतुरमुर्ग आंख बंद कर लेने से और कमजोर हो जाता है। खुली आंख में बच भी सकता था, भाग भी सकता था, लड़ भी सकता था। लेकिन बंद आंख, शुतुरमुर्ग क्या करेगा? दुश्मन के हाथ में और भी खिलवाड़ हो जाता है। लेकिन शुतुरमुर्ग का लॉजिक यह है, तर्क यह है कि जो नहीं दिखाई पड़ता, वह नहीं है। वह दुश्मन को, दुश्मन से पैदा हुई स्थिति को हल करने में नहीं लगता, दुश्मन को भूलने में लग जाता है। आंख बंद करके भूल जाता है कि दुश्मन है। भारत अपनी समस्याओं के प्रति एस्केपिस्ट है, पलायनवादी है। वह कहता है, समस्याएं हैं ही नहीं। संसार माया है। यह सब झूठ है, जो दिखाई पड़ रहा है। और सत्य? सत्य वह है, जो दिखाई नहीं पड़ रहा है। सत्य वह है, जो आकाश में है। सत्य वह है, जो मृत्यु के बाद है। सत्य परमात्मा है। और प्रकृति? प्रकृति बिलकुल असत्य है। जब कि सचाई उलटी है, प्रकृति परिपूर्ण सत्य है। और अगर परमात्मा भी सत्य है, तो वह प्रकृति की ही गहराइयों में खोजने से उपलब्ध होगा, प्रकृति के विरोध में खोजने से नहीं। अगर परमात्मा भी सत्य है तो वह इसी जीवन की गहराइयों में मौजूद होगा, इस जीवन की दुश्मनी में किसी आकाश में नहीं। अगर परमात्मा सत्य है तो वह भी मेरे भीतर सत्य होगा और आपके भीतर सत्य होगा; पत्थर में सत्य होगा, पौधे में सत्य होगा। उसका सत्य भी जीवन को इनकार करने में सिद्ध नहीं हो सकता। लेकिन हमने एक होशियारी, एक चालाकी की बात की है। और वह चालाकी की बात यह है कि जीवन के पूरे के पूरे रूप को हमने कह दिया, असत्य है, माया है, इल्यूजन है। और जब सारा जीवन एक सपना है, तो समस्याओं को हल करने की जरूरत क्या है? समस्याएं हैं ही नहीं। जो हल करता है, वह पागल है। तो हिंदुस्तान में वे लोग बुद्धिमान हैं, जो हल नहीं करते और भाग जाते हैं। और वे पागल हैं, जो जिंदगी में जूझते, हल करते हैं, वे नासमझ हैं, वे अज्ञानी हैं। ज्ञानी तो भाग जाता है। —ओशो
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Publisher Osho Media International
Type फुल सीरीज