जीवन गीत – Jeevan Geet

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जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ओशो द्वारा दिए गए पांच अमृत प्रवचनों का अपूर्व संकलन
जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ओशो द्वारा दिए गए पांच अमृत प्रवचनों का अपूर्व संकलन

मनुष्य का जीवन जन्म से उपलब्ध नहीं होता है। जन्म के बाद तो अवसर मिलता है कि हम जीवन का निर्माण करें। लेकिन जो लोग जन्म को ही काफी समझ लेते हैं उनका जीवन व्यर्थ हो जाता है। इस संबंध में थोड़ी सी बातें मैंने कल तुमसे कहीं। यह भी स्मरण दिला देना उपयोगी है और उसके बाद ही आज की चर्चा मैं प्रारंभ करूंगा, कि जन्म के बाद जिस जीवन को हम वास्तविक जीवन मान लेते हैं, वह धीरे-धीरे मरते जाने के सिवाय और कुछ भी नहीं है। उसे जीवन कहना भी कठिन है। जो जानते हैं, वे उसे धीमी मृत्यु ही कहेंगे। जन्म के बाद तुम्हें स्मरण होना चाहिए कि हम रोज-रोज धीरे-धीरे मरते जाते हैं। मृत्यु अचानक नहीं आती है। वह एक लंबा विकास है। जन्म के बाद अगर कोई व्यक्ति सत्तर वर्ष जीता है, तो सत्तरवें वर्ष पर अचानक मृत्यु नहीं आ जाती है। मृत्यु रोज-रोज बढ़ती जाती है। और सत्तरवें वर्ष पर पूरी हो जाती है। रोज हम मर रहे हैं। यहां एक घंटा बैठ कर हम जो चर्चा करेंगे, उसमें हम सबकी एक घंटे की उम्र कम हो जाएगी। एक दिन जिसको हम जी लेते हैं, वह हमारी उम्र से समाप्त हो जाता है। तो लंबे क्रम को हम समझ नहीं पाते कि यह मरने का क्रम है। लेकिन वस्तुतः यह मरने का ही क्रम है। अगर इसी को हमने जीवन समझ लिया, तो हम भूल में पड़ जाएंगे। यह जीवन नहीं है। यह सत्तर वर्ष की धीमी-धीमी मृत्यु है। फिर जीवन क्या है और? अगर यह जीवन नहीं है, तो फिर जीवन क्या है और? जीवन कुछ और अलग बात है। स्वयं के भीतर किसी ऐसे तत्व के दर्शन हो जाए, जिसकी मृत्यु नहीं होती है, तो ही समझना चाहिए कि हमने जीवन को जाना, जीया, पहचाना। हम जीवित हुए। ऐसे सामान्यतया हम जीवित नही हैं। खाना-पीना, सो लेना, काम कर लेना पर्याप्त नहीं है जीवित होने के लिए। जीवन तो एक बहुत गहरी अनुभूति का नाम है। किसी अमृत, किसी ऐसे तत्व को जान लेना, जिसकी मृत्यु न हो, तब तक जीवन नहीं है। तो जिसे हम समझते हैं, इसे जीवन नहीं कहा जा सकता। यह तो जीवन की प्रतीक्षा है। धीमे-धीमे एक दिन मृत्यु आएगी और समाप्त कर देगी। —ओशो
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Publisher Osho Media International
Type फुल सीरीज