भारत का भविष्य – Bharat Ka Bhavishya

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सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं पर प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए सत्रह अमृत प्रवचनों का संकलन
सामाजिक और राजनैतिक समस्याओं पर प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए सत्रह अमृत प्रवचनों का संकलन

मैं कुछ प्राथमिक बातें आपसे कहूं। पहली तो बात, युवक मैं उसे कहता हूं जिसकी नजर भविष्य की ओर होती है, फ्यूचर की ओर होती है, जो फ्यूचर ओरिएनटेड है। और बूढ़ा मैं उस आदमी को कहता हूं जो पास्ट ओरिएनटेड है, जो पीछे की तरफ देखता रहता है। अगर हम बूढ़े आदमी को पकड़ लें, तो वह सदा अतीत की स्मृतियों में खोया हुआ मिलेगा। वह पीछे की बातें सोचता हुआ, पीछे के सपने देखता हुआ, पीछे की याददाश्त करता हुआ मिलेगा। बूढ़ा आदमी हमेशा पीछे की तरफ ही देखता है। आगे की तरफ देखने में उसे डर भी लगता है, क्योंकि आगे सिवाय मौत के, सिवाय मरने के और कोई दिखाई बात पड़ती भी नहीं। जवान आदमी भविष्य की तरफ देखता है। और जो कौम भविष्य की तरफ देखती है वह जवान होती है। जो अतीत की तरफ, पीछे की तरफ देखती है वह बूढ़ी हो जाती है। यह हमारा मुल्क सैकड़ों वर्षों से पीछे की तरफ देखने का आदी रहा है। हम सदा ही पीछे की तरफ देखते हैं, जैसे भविष्य है ही नहीं; जैसे कल होने वाला नहीं है। जो बीत गया कल है वही सब कुछ। यह जो हमारी दृष्टि है यह हमें बूढ़ा बना देती है। अगर हम रूस के बच्चों को पूछें तो वे चांद पर मकान बनाने के संबंध में विचार करते मिलेंगे। अगर अमरीका के बच्चों को पूछें तो वे भी आकाश की यात्रा के लिए उत्सुक हैं। लेकिन अगर हम भारत के बच्चों को पूछें तो भारत के बच्चों के पास भविष्य की कोई भी योजना, भविष्य की कोई कल्पना, भविष्य का कोई भी स्वप्न, भविष्य का कोई उटोपिया नहीं है। और जिस देश के पास भविष्य का कोई उटोपिया न हो वह देश भीतर से सड़ना शुरू हो जाता है और मर जाता है। भविष्य जिंदा रहने का राज, भविष्य के कारण ही आज हम निर्मित करते हैं। भविष्य के लिए ही आज हम जीते और मरते हैं। जिनके मन में भविष्य की कोई कल्पना खो जाए, उनका भविष्य अंधकारपूर्ण हो जाता है। लेकिन इस मुल्क में न मालूम किस दुर्भाग्य के क्षण में भविष्य की तरफ देखना बंद करके अतीत की तरफ ही देखना तय कर रखा है। हम अतीत के ग्रंथ पढ़ेंगे, अतीत के महापुरुषों का स्मरण करेंगे। अतीत की सारी बातें हमारे मन में बहुत स्वर्ण की होकर बैठ गई हैं। बुरा नहीं है कि हम अतीत के महापुरुषों को याद करें। लेकिन खतरनाक हो जाता है अगर भविष्य की तरफ देखने में हमारी स्मृति बाधा बन जाए। —ओशो
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Publisher Osho Media International
Type फुल सीरीज