मिट्टी के दीये – Mitti Ke Diye

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ओशो द्वारा कही गई 59 बोधकथाओं का अनूठा-अपूर्व संकलन।
ओशो द्वारा कही गई 59 बोधकथाओं का अनूठा-अपूर्व संकलन।

उद्धरण: मिट्टी के दीये, बोधकथा:५४
"सुबह से सांझ तक सैकड़ों लोगों को मैं एक दूसरे की निंदा में संलग्न देखता हूं। हम सब कितना शीघ्र दूसरों के संबंध में निर्णय कर लेते हैं, जब कि किसी के भी संबंध में निर्णय करने से कठिन और कोई बात नहीं है। शायद परमात्मा के अतिरिक्त किसी के संबंध में निर्णय करने का कोई अधिकारी नहीं, क्योंकि एक व्यक्ति को--एक छोटे से, साधारण से मनुष्य को भी जानने के लिए जिस धैर्य की अपेक्षा है, वह परमात्मा के सिवाय और किसमें है?

क्या हम एक दूसरे को जानते हैं? वे भी जो एक दूसरे के बहुत निकट हैं, क्या वे भी एक दूसरे को जानते हैं?

मित्र, क्या मित्र भी एक दूसरे के लिए अपरिचित और अजनबी ही नहीं बने रहते हैं?

लेकिन, हम तो अपरिचितों को भी जांच लेते हैं और निर्णय ले लेते हैं और वह भी कितनी शीघ्रता से!

ऐसी शीघ्रता अत्यंत कुरूप होती है। लेकिन जो व्यक्ति अन्यों के संबंध में विचार करता रहता है, वह अपने संबंध में विचार करने की बात भूल ही जाता है। और ऐसी शीघ्रता निपट अज्ञान भी है, क्योंकि ज्ञान के साथ होता है धैर्य--अनंत धैर्य।

जीवन बहुत रहस्यपूर्ण है और जो जल्दी अविचारपूर्वक निर्णय लेने के आदी हो जाते हैं, वे उसे जानने से वंचित ही रह जाते हैं।"—ओशो

इस पुस्तक में ओशो निम्नलिखित विषयों पर बोले हैं:
, साहस, महत्वाकांक्षा, प्रेम और प्रज्ञा, समस्या और समाधान, मनुष्य का भय क्या है? जीवन क्या है?, धर्म क्या है?, प्रेम क्या है?, मृत्यु क्या है?

अधिक जानकारी
Publisher ओशो मीडिया इंटरनैशनल
ISBN-13 978-0-88050-845-2
File Size 1,775 KB
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