मन ही पूजा मन ही धूप – Man Hi Pooja Man Hi Dhoop
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ओशो द्वारा रैदास-वाणी पर दिए गए दस अमृत प्रवचनों का संकलन।
ओशो द्वारा रैदास-वाणी पर दिए गए दस अमृत प्रवचनों का संकलन।
सारा अभ्यास-योग, ध्यान, तप--सारा अभ्यास, परमात्मा का ज्ञान हो जाए, अनुभव हो जाए, इसलिए है। इन्हीं में मत उलझ जाना। नहीं तो कुछ लोग जिंदगी इसी में लगा देते हैं कि वे आसन ही साध रहे हैं। मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जो जिंदगी भर से आसन ही साध रहे हैं। भूल ही गए कि आसन अपने आप में व्यर्थ है। ध्यान कब साधोगे? और ध्यान भी अपने आप में काफी नहीं है समाधि कब साधोगे? और समाधि भी अपने आप में काफी नहीं है। ये सब साधन ही साधन हैं, सीढ़ियां हैं। सीढ़ियों पर मत अटक जाना। सीढ़ियां बहुत प्यारी भी हो सकती हैं, स्वर्ण-मंडित भी हो सकती हैं, उनका भी अपना सुख हो सकता है। लेकिन ध्यान रखना कि सीढ़ियां मंदिर की हैं,प्रवेश मंदिर में करना है। मंदिर का राजा,मंदिर का मालिक भीतर विराजमान है।
सब अभ्यास करो लेकिन एक ध्यान रहे: सब अभ्यास साधन मात्र हैं। ध्यान हो,पूजा हो,आराधना हो,सब अभ्यास हैं और साधन हैं। एक न एक दिन इन्हें छोड़ देना है। कहीं ऐसा न हो कि अभ्यास करते-करते अभ्यास में ही जकड़ जाओ!
ऐसी ही अड़चन हो जाती है। लोग पकड़ लेते हैं फिर अभ्यास को। फिर वे कहते हैं, तीस वर्षों से साधा है,ऐसे कैसे छोड़ दें? तो फिर साधन ही साध्य हो गया। फिर तुम अंधे हो गए। फिर तुम रेलगाड़ी में बैठ गए और यह भूल ही गए कि कहां उतरना है। —ओशो
Publisher | Osho Media International |
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Type | फुल सीरीज |
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