लगन महूरत झूठ सब – Lagan Mahurat Jhuth Sab
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ओशो द्वारा दिए गए विविध सूत्रों या प्रश्नोत्तर सहित दस अमृत प्रवचनों का संकलन।
ओशो द्वारा दिए गए विविध सूत्रों या प्रश्नोत्तर सहित दस अमृत प्रवचनों का संकलन।
धर्म तो परवानों की दुनिया है! दीवानों की, मस्तों की। वहां कहां लगन-महूरत! धर्म तो शुरू वहां होता है जहां समय समाप्त हो जाता है। वहां कहां लगन-महूरत!
लगन-महूरत की चिंता तो उन्हें होती है जो अतीत में जीते हैं और भविष्य में जिनकी वासना अटकी होती है। जीते हैं उसमें जो है नहीं और आशा करते हैं उसकी जो अभी हुआ नहीं--और शायद कभी होगा भी नहीं।
धर्म का संबंध न तो अतीत से है न भविष्य से है। धर्म है: अभी और यहीं जीना। बस अभी और यहीं। इस क्षण के पार कुछ भी नहीं है। इस क्षण से हटे कि धर्म से चूके। बाल भर का फासला पड़ा इस क्षण से कि जमीन-आसमान अलग-अलग हो गए।
यह क्षण द्वार है प्रभु का। क्योंकि वर्तमान के अतिरिक्त और किसी की कोई सत्ता नहीं है। अतीत है मात्र स्मृतियों का जाल। और भविष्य है केवल कल्पनाओं, सपनों की बुनावट। दोनों अस्तित्व शून्य हैं। और इन दोनों में जो जीता है, उसी का नाम संसारी है। वही भटका है।
ध्यान रहे, जिसको तुमने संसार समझा है, वह संसार नहीं है। घर-द्वार, पत्नी-बच्चे, बाजार-दुकान--यह सब संसार नहीं है। इसको तो छोड़ देना बड़ा आसान। इसको तो बहुत भगोड़े छोड़ कर भाग गए। मगर सवाल यह है कि क्या संसार उनसे छूटा? बैठ जाओ गुफा में हिमालय की, फिर भी संसार तुम्हारे साथ होगा। क्योंकि संसार तुम्हारे मन में है। और मन है अतीत और भविष्य का जोड़। जहां वर्तमान है, वहां मन नहीं।
बैठ कर भी गुफा में क्या करोगे हिमालय की? वही अतीत की उधेड़बुन होगी। वही बीती बातें याद आएंगी। वही बिसरे, विस्मृत हुए क्षण लौट-लौट द्वार खटखटाएंगे। क्या करोगे हिमालय की गुफा में बैठ कर? फिर भविष्य को संजोओगे। फिर आगे की योजना बनाओगे।
और अक्सर तो यूं होता है कि जो बाजार में बैठा है, उसका भविष्य बहुत बड़ा नहीं होता; क्योंकि वह इस जीवन के पार की कल्पना नहीं कर पाता। उसकी कल्पना बहुत प्रगाढ़ नहीं होती। और वह जो हिमालय की गुफा में बैठा है, उसे तो कुछ और काम-धाम नहीं, सारी ऊर्जा उपलब्ध है, करे तो क्या करे! तो मृत्यु के बाद भी जीवन की कल्पना करता है। स्वर्गों के स्वप्न देखता है। स्वर्ग में भोग की कामनाएं करता है। स्वर्ग में शराब के चश्मे बहाता है। स्वर्ग में अप्सराओं को अपने चारों तरफ नचाता है। —ओशो
Publisher | Osho Media International |
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Type | फुल सीरीज |
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