चित चिकमक लागै नहीं – Chit Chakmak Lage Nahin

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‘जीवन की खोज’ पर मलाड, बंबई में प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए छह अमृत प्रवचनों का अपूर्व संकलन
चित चिकमक लागै नहीं – Chit Chakmak Lage Nahin
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‘जीवन की खोज’ पर मलाड, बंबई में प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए छह अमृत प्रवचनों का अपूर्व संकलन

जीवन एक अवसर है। और जितने क्षण हम खो देते हैं उन्हें वापस पाने का कोई भी उपाय नहीं है। और जीवन एक अवसर है उसे हम किसी भी भांति, किसी भी रूप में परिवर्तित कर सकते हैं। जो भी हम उसके साथ करते हैं, जीवन परिवर्तित हो जाता है। कुछ लोग उसे संपत्ति में परिवर्तित कर लेते हैं। जीवन भर, जीवन के सारे अवसर को, सारी शक्ति को संपत्ति में परिवर्तित कर लेते हैं। लेकिन मौत जब सामने खड़ी होती है, संपत्ति व्यर्थ हो जाती है। कुछ लोग जीवन भर श्रम करके जीवन के अवसर को यश में, कीर्ति में परिणित कर लेते हैं। यश होता है, कीर्ति होती है, अहंकार की तृप्ति होती है। लेकिन मौत जब सामने खड़ी होती है, अहंकार और यश और कीर्ति सब व्यर्थ हो जाते हैं। कसौटी क्या है कि आपका जीवन व्यर्थ नहीं गया? कसौटी एक ही है कि मौत जब सामने खड़ी हो, तो जो आपने जीवन में कमाया हो, वह व्यर्थ न हो जाए। आपने जीवन के अवसर को जिस चीज में परिवर्तित किया हो, सारे जीवन को जिस दांव पर लगाया हो, जब मौत सामने खड़ी हो तो वह व्यर्थ न हो जाए, उसकी सार्थकता बनी रहे। मृत्यु के समक्ष जो सार्थक है वही वस्तुतः सार्थक है, शेष सब व्यर्थ है। मैं पुनः दोहराता हूं: मृत्यु के समक्ष जो सार्थक है वही बस सार्थक है, शेष सब व्यर्थ है। यह बहुत कम लोगों के स्मरण में है--यह कसौटी, यह मूल्यांकन, यह दृष्टि, बहुत कम लोगों के समक्ष है। आपके समक्ष है या नहीं, इसे सोचने का निवेदन करता हूं। इसे थोड़ा विचार करेंगे कि मैं जीवन भर दौड़ कर जो भी इकट्ठा कर लूंगा, जो भी--चाहे पांडित्य इकट्ठा कर लूंगा, चाहे धन इकट्ठा कर लूंगा, चाहे बहुत उपवास करके तपश्चर्या इकट्ठी कर लूंगा, या बहुत यश कमा लूंगा, या कुछ किताबें लिख लूंगा, या कुछ चित्र बना लूंगा, या कुछ गीत गा लूंगा, लेकिन अंततः जब मेरा सारा जीवन अंतिम कसौटी पर खड़ा होगा, तो मृत्यु के समक्ष इनकी कोई सार्थकता होगी या नहीं होगी? अगर नहीं होगी, तो आज ही सचेत हो जाना उचित है। और उस दिशा में संलग्न हो जाना भी उचित है कि मैं कुछ ऐसी संपदा भी खड़ी कर सकूं और कोई ऐसी शक्ति भी निर्मित कर सकूं और प्राणों के भीतर कोई ऐसी ऊर्जा को जन्म दे सकूं कि जब मौत समक्ष हो तब मेरे भीतर कुछ हो जो मौत से बच जाता हो, मौत जिसे नष्ट न कर पाती हो। —ओशो
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Publisher Osho Media International
Type फुल सीरीज